कम उम्र में मृत्यु


🎈 क्यों कम उम्र में ही कुछ लोग छोड़ देते हैं यह दुनिया?

विदुर नीति में छिपा है जीवन का गूढ़ रहस्य

वेदों में मनुष्य की औसत आयु 100 वर्ष बताई गई है। फिर भी हम देखते हैं कि कई लोग इस आयु के आधे रास्ते तक भी नहीं पहुँच पाते। कोई दुर्घटना में, कोई रोग में, तो कोई मानसिक तनाव और अवसाद में जीवन त्याग देता है।
यह प्रश्न नया नहीं है—महाभारत काल में भी यह जिज्ञासा उठी थी।

📖 धृतराष्ट्र का प्रश्न और विदुर का उत्तर

महाभारत में राजा धृतराष्ट्र ने विदुर से पूछा था—

> “जब वेदों में मनुष्य की आयु 100 वर्ष बताई गई है, तो फिर कुछ लोग अपनी पूर्ण आयु क्यों नहीं जी पाते?”

इस प्रश्न के उत्तर में महात्मा विदुर ने जीवन को नष्ट करने वाले छह प्रमुख दोषों का उल्लेख किया, जो मनुष्य की आयु को कम कर देते हैं।
---

🔴 विदुर नीति के अनुसार आयु कम करने वाले छह दोष

1️⃣ अभिमान (अहंकार)

जो व्यक्ति अपनी प्रशंसा में डूबा रहता है, स्वयं को सबसे श्रेष्ठ और शक्तिशाली मानने लगता है, वह अभिमान का शिकार हो जाता है।
अहंकार मनुष्य को विवेकहीन बना देता है, जिससे गलत निर्णय, शत्रुता और अंततः पतन होता है।
अत्यधिक अभिमान ही अल्पायु का कारण बनता है।
---

2️⃣ वाचालता (अत्यधिक बोलना)

जो व्यक्ति बिना सोचे-समझे, अनावश्यक और कटु वाणी बोलता है, वह स्वयं अपने लिए संकट खड़ा करता है।
असंयमित वाणी संबंधों को तोड़ती है, शत्रु बढ़ाती है और मानसिक तनाव को जन्म देती है।
मौन और संयम जीवन को दीर्घ बनाते हैं।
---

3️⃣ क्रोध

क्रोध को शास्त्रों में मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु कहा गया है।
क्रोध की अवस्था में व्यक्ति भविष्य के परिणामों को भूल जाता है और ऐसे कर्म कर बैठता है, जिनका दुष्परिणाम जीवनभर भुगतना पड़ता है।
क्रोध बुद्धि को नष्ट करता है और आयु को घटाता है।
---

4️⃣ त्याग की कमी

जो व्यक्ति केवल अपने लिए जीता है, जिसमें त्याग, सहनशीलता और समर्पण का अभाव होता है—उसका जीवन संघर्षों से भर जाता है।
समाज में रहते हुए त्याग का गुण न हो तो मानसिक अशांति और वैमनस्य बढ़ता है।
त्याग जीवन को विस्तार देता है, स्वार्थ उसे संकुचित करता है।
---

5️⃣ स्वार्थ

स्वार्थ को शास्त्रों में पाप की जड़ कहा गया है।
अत्यधिक स्वार्थ मनुष्य को अनीति, छल और लोभ की ओर ले जाता है, जिससे सामाजिक असंतुलन और आत्मिक पतन होता है।
संयमित इच्छाएँ ही शांत और दीर्घ जीवन का आधार हैं।
---

6️⃣ मित्र से द्रोह

शास्त्रों के अनुसार मित्रों को धोखा देने वाला व्यक्ति अधम श्रेणी में आता है।
मित्रता विश्वास पर टिकी होती है—जब यह टूटती है, तो जीवन में अकेलापन, भय और पतन निश्चित हो जाता है।
मित्र द्रोह करने वाला कभी सुखी और दीर्घायु नहीं हो सकता।
---

🌿 विदुर नीति की आज के जीवन में प्रासंगिकता

विदुर द्वारा बताए गए ये छह दोष आज के समय में और भी अधिक दिखाई देते हैं—
अहंकार, क्रोध, स्वार्थ और असंयमित वाणी आज की तेज़ रफ्तार जीवनशैली का हिस्सा बन चुके हैं।
यदि समय रहते इन दोषों पर नियंत्रण न किया जाए, तो मानसिक, सामाजिक और शारीरिक पतन निश्चित है।

विदुर नीति हमें सिखाती है कि दीर्घायु का रहस्य औषधियों में नहीं, बल्कि आचरण में छिपा है।
---

📞 जीवन की समस्याओं के समाधान व मार्गदर्शन के लिए

व्हाट्सएप पर संपर्क करें:
📲 9202599416
---

Comments

Popular posts from this blog

3- भगवत गीता जीवन अमृत

8. असफल व्यक्ति को समाज क्यों तुच्छ समझता है? (भगवत गीता जीवन अमृत)

विवाह भाव का विश्लेषण