कुंडली में ग्रह, भाव और तत्व


☀️कुंडली में ग्रह, भाव और तत्व — फल निर्धारण का शास्त्रीय सिद्धांत ☀️

ज्योतिष में किसी भी ग्रह का फल केवल उसकी दशा या राशि से तय नहीं होता।
वास्तविक फल निर्धारण के लिए तीन मुख्य बातों का एक साथ विचार आवश्यक है—

1. ग्रह किस भाव (घर) में स्थित है

2. ग्रह का स्वभाव (शुभ/क्रूर/मिश्र)

3. ग्रह का तत्व (अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी)

👉 यही कारण है कि एक ही ग्रह किसी कुंडली में उन्नति देता है, तो दूसरी कुंडली में वही ग्रह संघर्ष भी कराता है।
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🔹 तत्व (Elements) का ज्योतिषीय अर्थ
तत्व प्रभाव
🔥 अग्नि तत्व साहस, ऊर्जा, नेतृत्व, क्रिया
💧 जल तत्व मन, भावना, संवेदना, मातृत्व
🌬️ वायु तत्व बुद्धि, विचार, संवाद, संबंध
🌍 पृथ्वी तत्व स्थिरता, कर्म, भौतिक परिणाम
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🔹 1. सूर्य — अग्नि तत्व | क्रूर ग्रह

कारक: आत्मबल, सम्मान, सत्ता, नेतृत्व

शुभ भाव: 3, 6, 10, 11
👉 पराक्रम, सेवा, कर्म और लाभ में श्रेष्ठ फल देता है

सामान्य भाव: 1, 2, 5, 9
👉 मान-सम्मान देता है, पर अहंकार भी बढ़ाता है

अशुभ भाव: 4, 7, 8, 12
👉 गृह-सुख, विवाह और शांति में बाधा देता है
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🔹 2. चंद्रमा — जल तत्व | सौम्य ग्रह

कारक: मन, भावना, माता, संवेदना

शुभ भाव: 1, 2, 4, 5, 11
👉 मानसिक स्थिरता, पारिवारिक सुख देता है

सामान्य भाव: 7, 9, 10
👉 भावनात्मक उतार-चढ़ाव रहता है

अशुभ भाव: 3, 6, 8, 12
👉 चिंता, भय और मानसिक अस्थिरता
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🔹 3. मंगल — अग्नि तत्व | क्रूर ग्रह

कारक: साहस, ऊर्जा, क्रिया, पराक्रम

शुभ भाव: 3, 6, 10, 11
👉 शक्ति सही दिशा में लगती है

सामान्य भाव: 1, 2, 5, 9
👉 आत्मबल देता है पर क्रोध बढ़ाता है

अशुभ भाव: 4, 7, 8, 12
👉 गृह-कलह, विवाह और मानसिक अशांति
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🔹 4. बुध — वायु तत्व | सौम्य ग्रह

कारक: बुद्धि, वाणी, व्यापार, तर्क

शुभ भाव: 1, 3, 6, 10, 11
👉 सोच और कर्म में संतुलन

सामान्य भाव: 2, 5, 7, 9
👉 वाणी व संबंधों में मिश्रित परिणाम

अशुभ भाव: 4, 8, 12
👉 भ्रम, मानसिक तनाव, गुप्त हानि
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🔹 5. गुरु (बृहस्पति) — ज्ञान व विस्तार का ग्रह

कारक: धर्म, ज्ञान, संतान, भाग्य

शुभ भाव: 1, 2, 4, 5, 9, 11
👉 धन, सुख, संतान व भाग्य वृद्धि

सामान्य भाव: 7, 8, 12
👉 आदर्श अधिक, व्यवहारिकता कम

अशुभ भाव: 3, 6, 10
👉 संघर्ष और कर्म में ढिलाई
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🔹 6. शुक्र — जल तत्व | सौम्य ग्रह

कारक: प्रेम, सौंदर्य, विलास, कला

शुभ भाव: 1, 2, 4, 5, 12
👉 सुख-सुविधा और रचनात्मकता

सामान्य भाव: 7, 9, 11
👉 आकर्षण रहता है, अपेक्षाएँ बढ़ती हैं

अशुभ भाव: 3, 6, 8, 10
👉 भोग-विलास से बाधाएँ
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🔹 7. शनि — वायु तत्व | क्रूर ग्रह

कारक: कर्म, अनुशासन, धैर्य

शुभ भाव: 3, 6, 10, 11
👉 परिश्रम का स्थायी फल

सामान्य भाव: 1, 2, 5, 9
👉 फल देर से लेकिन टिकाऊ

अशुभ भाव: 4, 7, 8, 12
👉 अकेलापन, देरी, मानसिक दबाव
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🔹 8. राहु — वायु तत्व | छाया ग्रह

कारक: महत्वाकांक्षा, राजनीति, तकनीक

शुभ भाव: 3, 6, 10, 11
👉 प्रतियोगिता व आधुनिक क्षेत्रों में सफलता

सामान्य भाव: 1, 2, 5, 9
👉 लालसा व असंतोष बढ़ता है

अशुभ भाव: 4, 7, 8, 12
👉 भ्रम, विवाद, अचानक हानि
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🔹 9. केतु — अग्नि तत्व | छाया ग्रह

कारक: वैराग्य, आध्यात्म, मोक्ष

शुभ भाव: 2, 5, 9, 10, 12
👉 ज्ञान और आत्मोन्नति

सामान्य भाव: 1, 8, 11
👉 आत्ममंथन और दूरी का भाव

अशुभ भाव: 3, 4, 6, 7
👉 सांसारिक सुख व संबंधों में कमी
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💢 महत्वपूर्ण निष्कर्ष

👉 कोई भी ग्रह पूर्ण रूप से शुभ या अशुभ नहीं होता।
👉 ग्रह का फल भाव + तत्व + स्वभाव के संयुक्त प्रभाव से बनता है।
👉 सही भाव में ग्रह उन्नति देता है और विपरीत भाव में वही ग्रह जीवन को अनुभव और सीख देता है।
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✨ श्री वैदिक नक्षत्र ज्योतिष अकादमी

📞 व्हाट्सएप: 9202599416

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