कुंडली में मंगल


🔴 मंगल ग्रह : लग्न एवं अन्य भावों में संभावित फल

(वैदिक दृष्टिकोण एवं अनुभवजन्य विवेचना)

🌺 मंगल के पर्यायवाची नाम

मंगल को वैदिक साहित्य में अनेक नामों से जाना गया है—
मंगल, अर, वक्र, क्रूर, अविनेय, कुज, भौम, लोहितांग, अंगारक, पापी, क्षितिज, धरापुत्र, भूमिसुत, महीज, स्कंद, कार्तिकेय, सुब्रह्मण्य, आंगिरस, रक्तांग, आषाढाभव, गोश्रापुत्र, भूपुत्र, क्षोणिपुत्र आदि।

ये सभी नाम मंगल के उग्र, तेजस्वी, अग्नि-तत्त्व प्रधान स्वरूप को दर्शाते हैं।
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🔥 मंगल ग्रह का स्वभाव

वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल को—

रूक्ष (शुष्क)

उष्ण (गरम)

दाहक (जलाने वाला)
ग्रह माना गया है।

इसी कारण इसके प्रभाव से जातक को गर्भावस्था से ही उष्णता संबंधी कष्ट हो सकते हैं।
बचपन में चेचक, फोड़े-फुंसी, रक्तविकार, पित्तदोष आदि रोग मंगल से संबंधित माने गए हैं।
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🧒 बाल्यावस्था और मंगल

बचपन की अवस्था पर मंगल का विशेष अधिकार होता है।

प्रबल मंगल वाले बच्चों को रोग शीघ्र होते हैं।

दुर्बल मंगल होने पर रोगों का प्रभाव कम रहता है।

केवल लग्न में मंगल होना ही निर्णायक नहीं, उसकी राशि, दृष्टि और योग भी अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं।
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♈ राशि अनुसार मंगल के शारीरिक फल

🔹 मेष, सिंह, धनु

सिरदर्द

रक्तपीड़ा

शरीर में अधिक रक्त

गौरवर्ण, दृढ़ शरीर

🔹 मिथुन, तुला, कुंभ

रोगों का प्रभाव अपेक्षाकृत कम

कार्यसिद्धि में विघ्न
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⚠️ मंगल और स्त्रीघात योग

कर्क, सिंह और मीन को छोड़कर अन्य राशियों में मंगल के कारण स्त्रीघात, दाम्पत्य संघर्ष आदि फलों का अनुभव होता है।
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🦁 पराक्रम और उग्रता

मेष, सिंह, धनु, कर्क, वृश्चिक में मंगल
→ “सिंह समान पराक्रमी”

मेष, सिंह, धनु
→ उग्र स्वभाव, शीघ्र क्रोध

यदि मंगल का सूर्य और चंद्र से संबंध हो, तो—

अत्यधिक क्रूरता

अल्पायु का संकेत
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🧠 मानसिक व नैतिक प्रभाव

व्यभिचार, भ्रमणशीलता, विषयासक्ति
→ मेष, सिंह, धनु, मिथुन, तुला, कुंभ

स्वधर्म में अरुचि, सुधारवादी मतों की ओर झुकाव
→ मेष, सिंह, धनु, कर्क, वृश्चिक, मीन
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🧍 पुरुष एवं स्त्री राशि में मंगल

🔹 पुरुष राशि में

क्रोध

व्यसन

तीखा भोजन प्रिय

अग्नि-दुर्घटना

पित्तरोग

बचपन में उदर व दंत रोग

🔹 स्त्री राशि में

स्वाभिमान

सौंदर्य

पराक्रम

स्तब्ध स्वभाव
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🧿 विशेष योग फल

लग्न, केन्द्र या त्रिकोण में मंगल
→ सामान्यतः अनिष्ट नहीं करता

वृष, कन्या, मकर
→ दुष्टता, विचारहीनता

कर्क, वृश्चिक, मीन
→ गुल्म, प्लीहा रोग

मेष, सिंह, धनु
→ राजसम्मान, यश
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💼 मंगल और व्यवसाय (अनुभवजन्य तथ्य)

🔸 लग्नस्थ मंगल

सभी व्यवसायों में रुचि

एक साथ अनेक कार्य करने की प्रवृत्ति

36 वर्ष तक अस्थिरता, फिर स्थिरता

मिथ्या अभिमान, स्वयं को अत्यंत कुशल समझना

🔸 पेशा अनुसार फल

🔧 लोहार, बढ़ई, सुनार, मैकेनिकल इंजीनियर, फिटर — अत्यंत शुभ

🚆 मोटर, रेल, विमान चालक — विशेष योग

🩺 डॉक्टर — सर्जरी में रुचि, पर ऑपरेशन कम

⚖️ वकील — प्रभाव तो होता है, धन कम

🚓 पुलिस (मेष, सिंह, कर्क, वृश्चिक, धनु) — उन्नति

यदि मंगल + शनि योग हो →

रिश्वतखोरी में सफलता

पकड़ से बचाव (अनैतिक फल)
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👨‍👩‍👧 पारिवारिक प्रभाव

मकर का मंगल → पिता के लिए कष्टदायक

वृष, कन्या, मकर → कृपणता

मिथुन, तुला → मिलनसार स्वभाव

कर्क, वृश्चिक, कुंभ, मीन → मित्रता देर से, पर स्थायी

⚠️ कुछ राशियों में मंगल से

चोरी की प्रवृत्ति

संतान को दृष्टिदोष
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✨ निष्कर्ष

मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस, पराक्रम और संघर्ष का प्रतीक है।
यह ग्रह यदि संतुलित हो तो महान योद्धा, अभियंता, प्रशासक बनाता है;
और यदि असंतुलित हो तो क्रोध, हिंसा और पतन का कारण भी बन सकता है।

👉 अतः मंगल का फल राशि, योग, दृष्टि, दशा के साथ समग्र रूप से देखना चाहिए।
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✍️ श्री वैदिक नक्षत्र ज्योतिष अकादमी
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