5. असफलता क्या संकेत देती है?


5. असफलता क्या संकेत देती है?

📖 नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति प्रत्यवायो न विद्यते।
स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्॥
— भगवद्गीता 2.40

🪔 प्रयास व्यर्थ नहीं जाता।
🌼 बार-बार गिरता बच्चा चलना सीखता है — गिरना सीखने की प्रक्रिया है।
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असफलता शब्द सुनते ही मन में निराशा, भय और आत्मग्लानि का भाव उत्पन्न हो जाता है। समाज ने हमें बचपन से यह सिखाया है कि सफलता ही जीवन का प्रमाण है और असफलता कमजोरी का चिन्ह। परीक्षा में कम अंक, व्यापार में घाटा, नौकरी में अस्वीकृति या जीवन के किसी लक्ष्य में रुकावट — इन सबको हम असफलता कहकर अपने मन पर भारी बोझ बना लेते हैं। लेकिन प्रश्न यह है कि क्या असफलता वास्तव में नकारात्मक है? या फिर वह किसी गहरे सत्य और आगामी सफलता का संकेत देती है?

भगवद्गीता का श्लोक “नेहाभिक्रमनाशोऽस्ति” हमें स्पष्ट संदेश देता है कि इस मार्ग में किया गया कोई भी प्रयास नष्ट नहीं होता। अर्थात् जीवन में किया गया हर कर्म, हर प्रयास, हर ईमानदार कोशिश अपना फल अवश्य देती है — भले ही वह फल तत्काल दिखाई न दे।

असफलता अंत नहीं, संकेत है

असफलता यह संकेत नहीं देती कि आप अयोग्य हैं, बल्कि यह बताती है कि आप प्रयास कर रहे हैं। जो व्यक्ति कभी असफल नहीं हुआ, उसने या तो कुछ नया करने का साहस नहीं किया, या फिर वह सीमाओं में बंधा रहा। असफलता यह संकेत देती है कि आपने अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलकर कुछ बड़ा करने की कोशिश की है।

जैसे एक बच्चा जब चलना सीखता है, तो वह बार-बार गिरता है। क्या कोई माता-पिता यह कहते हैं कि बच्चा असफल है? नहीं। गिरना उसके सीखने की प्रक्रिया का अनिवार्य भाग है। उसी प्रकार जीवन में गिरना, ठोकर खाना, हारना — यह सब हमें आगे चलने योग्य बनाता है।

असफलता हमें आत्ममंथन का अवसर देती है

सफलता अक्सर अहंकार को जन्म देती है, जबकि असफलता आत्मविश्लेषण कराती है। जब हम असफल होते हैं, तब हम रुककर सोचते हैं:

कहाँ चूक हुई?

क्या रणनीति गलत थी?

क्या धैर्य की कमी थी?

क्या तैयारी अधूरी थी?


यह आत्ममंथन हमें भीतर से मजबूत बनाता है। असफलता आईना है, जो हमें हमारी वास्तविक स्थिति दिखाती है। जो व्यक्ति इस आईने से डरता नहीं, वही आगे बढ़ता है।

असफलता धैर्य और सहनशीलता सिखाती है

जीवन केवल तेज़ दौड़ नहीं है, यह धैर्य की परीक्षा भी है। असफलता हमें सिखाती है कि हर फल तुरंत नहीं मिलता। बीज बोने के बाद किसान रोज़ खेत खोदकर नहीं देखता कि अंकुर निकला या नहीं। वह धैर्य रखता है, सिंचाई करता है, प्रतीक्षा करता है।

असफलता यह संकेत देती है कि अभी समय आया नहीं है, प्रयास जारी रखना है। यही कारण है कि गीता कहती है — प्रत्यवायो न विद्यते — इस मार्ग में कोई हानि नहीं है।

असफलता भय से मुक्त करती है

पहली असफलता सबसे अधिक डरावनी होती है। लेकिन बार-बार असफल होने के बाद व्यक्ति को यह समझ आ जाता है कि असफलता जानलेवा नहीं है। तब भय कम होने लगता है और साहस बढ़ता है।

जब भय समाप्त होता है, तब व्यक्ति खुलकर निर्णय लेता है, जोखिम उठाता है और रचनात्मक सोच विकसित करता है। इस दृष्टि से असफलता साहस का प्रशिक्षण है।

असफलता अहंकार को तोड़ती है

अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। जब सब कुछ ठीक चल रहा होता है, तब व्यक्ति स्वयं को सर्वश्रेष्ठ समझने लगता है। असफलता इस भ्रम को तोड़ती है और विनम्रता सिखाती है।

विनम्र व्यक्ति सीखने को तैयार रहता है। वह सलाह सुनता है, मार्गदर्शन स्वीकार करता है और स्वयं को सुधारता है। यही सुधार आगे चलकर सफलता का आधार बनता है।

असफलता कर्मयोग की ओर ले जाती है

भगवद्गीता का मूल संदेश है — कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। असफलता हमें फल की आसक्ति से मुक्त करती है। जब बार-बार प्रयास के बाद भी फल नहीं मिलता, तब व्यक्ति समझने लगता है कि कर्म ही साध्य है।

यह अवस्था साधक की होती है — जहाँ व्यक्ति परिणाम नहीं, प्रक्रिया पर ध्यान देता है। यही कर्मयोग की पराकाष्ठा है।

असफलता आत्मबल बढ़ाती है

जो व्यक्ति असफलता के बाद भी खड़ा होता है, वही वास्तविक रूप से मजबूत होता है। बाहरी परिस्थितियाँ तो सभी को प्रभावित करती हैं, परंतु भीतर का साहस केवल संघर्ष से ही पैदा होता है।

असफलता यह संकेत देती है कि आपके भीतर अभी और शक्ति जागृत होनी बाकी है। जैसे आग में तपकर ही सोना कुंदन बनता है, वैसे ही असफलताओं की आग में तपकर मनुष्य निखरता है।

असफलता सफलता की दिशा दिखाती है

कई बार असफलता यह भी बताती है कि यह मार्ग आपके लिए नहीं है, कोई और मार्ग आपका इंतज़ार कर रहा है। अनेक महान व्यक्तियों ने जीवन में बार-बार दिशा बदली और अंततः अपनी सही राह पाई।

इसलिए असफलता को दीवार न समझें, उसे संकेतक समझें — जो सही दिशा की ओर इशारा करता है।

निष्कर्ष

असफलता कोई अभिशाप नहीं, बल्कि जीवन का गुरु है। वह हमें सिखाती है, गढ़ती है, तोड़ती है और फिर नए रूप में खड़ा करती है। गीता का यह श्लोक हमें आश्वस्त करता है कि किया गया कोई भी सच्चा प्रयास व्यर्थ नहीं जाता।

यदि आज आप असफल हैं, तो इसका अर्थ यह नहीं कि आप हार गए हैं। इसका अर्थ केवल इतना है कि आप सीख रहे हैं। और जो सीख रहा है, वही आगे चलकर सफल होता है।

🪔 याद रखें —
असफलता रुकने का संकेत नहीं, बल्कि और गहराई से प्रयास करने का संदेश है।
🌼 गिरना हार नहीं है, न गिरकर उठने से इंकार करना हार है।

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