कड़वी ज़िन्दगी


कड़वी ज़िन्दगी

ज़िन्दगी ने मुस्कुराना सिखाया नहीं,
बस मुस्कुराते हुए
सहना सिखा दिया।

हर मोड़ पर
कुछ अपना छूट गया,
और हर बार कहा गया—
आगे बढ़ो, यही ज़िन्दगी है।

भरोसे इतने सस्ते हो गए हैं
कि कोई भी तोड़ देता है,
और कीमत
हम चुपचाप चुका देते हैं।

ज़िन्दगी ने
वक़्त से पहले बड़ा कर दिया,
ख़्वाब बचपन में रह गए
और ज़िम्मेदारियाँ
हमारे नाम लिख दीं।

कड़वी इसलिए नहीं है ज़िन्दगी,
कि उसने दुख दिए,
कड़वी इसलिए है
कि सब कुछ समझने के बाद भी
जीनी पड़ती है।

आर्यमौलिक 

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