सिरहन


सिरहन

ये वही सिरहन है…
जब पहली बार दिल में किसी का नाम उतरता है,
धड़कनों की दहलीज़ पर
एक अनजानी सी खनक उभरता है।

ये वही सिरहन है…
जब आँखें किसी को देखकर
खुद-ब-खुद मुस्कुरा उठती हैं,
और पलकें हर झपक में
एक नई दास्तान लिखती हैं।

ये वही सिरहन है…
जब वो सामने हो तो
जुबाँ पर शब्द भी हल्के पड़ जाते हैं,
और छूकर हवा तुम्हें
उसके होने का अहसास कर जाते हैं।

ये वही सिरहन है…
जिसमें दिल अपनी पहली उड़ान भरता है,
प्यार अभी बोली नहीं सीखता…
पर हर सांस में उसका नाम करता है।

यही है प्रेम की वो पहली सिरहन—
जो उम्र भर याद रहती है,
दिल को पहली बार
सचमुच दिल बना देती है।

आर्यमौलिक 

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